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Wednesday, March 3, 2010

hi....एक परी हो तुम,

हां,मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम,
जिसे मै जब चाहूं, जहां चाहूं,
बुला लुं,जब चाहूं हंसा लूं ,
जब चाहूं रुला दूं,
हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम,
जिसके हाथ में एक जादू की छरी है,
जो बस तुम मुझे दिखाती हो,
जब तुम चाहती हो मुझे रुला देती हो,
जब चाहती हो, हंसा के मुझे,
अपने सपनो में सुला देती हो,

हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम,
और मेरे लिये... इस दुनिया में,
सबसे खुबसुरत हो तुम,
मेरे जीने की जरुरत हो तुम,
मेरे प्यार कि मुरत हो तुम,
मेरे लिये मेरी सबसे बडी सोहरत हो तुम.
हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम.

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