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Thursday, July 29, 2010

कुछ इस तरह


सोचता हूँ जिन्दगी जी लूँ कुछ इस तरह,
कि हर एक दिन लगे कि जी रहा हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह,
कि कोइ मिल जाये कुछ इस तरह,
जिसे अपना बना लूँ कुछ इस तरह,
सपनें सजा लूँ कुछ इस तरह,
जिसके लिये खो दूँ मैं सबकुछ कुछ इस तरह,
रो दूँ हर एक आँसू कुछ इस तरह,

पर कोई मिलती नहीं है कुछ इस तरह,
जो मुस्कुराये बस मेरे पास होने से कुछ इस तरह,
कि सारी दुनिया हूँ मैं उसके लिये कुछ इस तरह.

Tuesday, July 20, 2010

हमारा दुर्भाग्य क्या है?

हमारा दुर्भाग्य क्या है?
हम जिन्हें पैरों में पहनते है,
वो शोरुम मे रखे जाते हैं.
और हम जो खातें हैं वो सड़कों पर बिकती है.
हमारे माता पिता को को उनके बच्चों को ये दिखाना पढ़ता है
कि वो उन्हें कितना चाहते हैं.

Tuesday, May 4, 2010

तो मैं गलत हूँ

ना मैं गलत था,
ना तुम गलत थी.
ना मेरी मजबूरी थी,
ना तुम्हारी मजबूरी थी.
मैं भी अपने होश में था,
और तुम भी अपने होश में थी.
मैं भी सब कुछ देख रहा था,
तुम भी सब कुछ देख रही थी.
मै भी सब कुछ कर रहा था , 
तुम भी सब कुछ कर रही थी.
फिर मै ही क्यों गलत था?
हाँ, यदि प्यार करना गलत है,
तो मैं गलत हुँ.
और यदि किसी के लिये,
जीना-मरना गलत है,
तो मैं गलत हूँ.

Friday, April 30, 2010

दोस्त! आप बहुत जरुरी हैं,

दोस्त! आप बहुत जरुरी हैं,
बिना आपके ये जिन्दगी अधुरी है,
पर क्या करें ?
दिल की कुछ मजबूरी थी.

जो आता है बक देता हुँ
तुमपे इतना हक देता हूं,
अपने हो इसी लिये तो,
दिल की बातें रख देता हूँ.

अभी दिमाग की लाचारी है,
दिल भी शाला व्याभिचारी है.
दोस्ती कुछ पल की बात नही होती,
चन्द पल की मुलाकात में नहीं होती.
पर अब मुझे माफ़ कर देना,
और गंगा जल से,
मेरे पापों को साफ़ कर देना.
य़किन है दोस्त कि तुम माफ़ कर दोगे,
फिर से मुझसे दोस्ती करने का पाप कर दोगे.


Plz maaf kar do.






Tuesday, April 27, 2010

प्यार बढा हसीन होता है.

 कहते है लोग कि
प्यार बढा हसीन होता है,
अपने लिये नहीं गैरो के लिये
भी रोता है
कभी कोई किसी की बाँहों में सोता है
सोचो तो वो कोई अपना होता है,
नही न! तो फिर प्यार कैसे नहीं होता है.
होता है करके देखो, मैने तो बहुत किया है,
पर अफ़सोस कि तुम इसे समझ न पायी.

Monday, April 12, 2010

काश तुम मेरे प्यार को कभी समझ पाओ.

मैंने कभी नही चाहा था,
प्यार को ऐसे निभाना.
मैंने कभी नही चाहा था,
तुम पे हक जमाना.
पर क्या हुआ था मुझे,
तुम्हारा प्यार था जो मुझसे
ऐसा करवाया,
या मेरी वासना थी ,
जो बाहर निकलके आया.
हाँ तुम  भी  तो मौजूद थी,
फिर क्यों इतने करीब थी.
मैं बस तुम्हे मुस्कुराता,
देखना चहाता था.
पर क्या हो गया था मुझे,
इसका गम नहीं,
तुमने भी तो साथ दिया था ,
क्या ये कम नहीं.
दुख इस बात का नहीं ,
कि मैंने तुमसे प्यार किया.
दुख इस बात का है तुमने,
तुमने प्यार को क्या कह दिया.
अपनी जरुरत, मेरी भूख.
काश तुम मेरे प्यार को,
कभी समझ पाओ.

Thursday, April 1, 2010

अकेलेपन

माना कि जिन्दगी के रास्ते अकेले चलोगे तुम,
अकेले हँसोगे तुम अकेले रोऒगे तुम,
पर इस अकेलेपन में कितना है मज़ा,
मुझे पता नहीं ,
पर लोग तो कहते हैं कि,
यह अकेलापन ही तो है ,
इस दुनिया का सबसे बडा सजा.
मैं भी चहाता हुँ अकेला जीना,
पर बस किसी कि यादों में,
अपने गम के आँसुओ को पीना.
बस उन आँसुओ के लिये कुछ झुठे वयादे दे दो,
कुछ तो सिख लुँगा, जिन्दगी तुमसे भी जीना.

Tuesday, March 30, 2010

ये जिन्दगी


ये जिन्दगी
कभी हँसाती है ये जिन्दगी,
कभी रुलाती है ये जिन्दगी,
पर ये क्या चाहती है ,
क्यों नहीं बताती है ये जिन्दगी.
इस जिन्दगी को जीना,
मेरी हसरत नहीं.
कैसे ये मान लुँ,
कि मोहब्बत खुदा की फ़ितरत नहीं.
और जी लूँ तेरे बिना,
खुद से इतनी नफ़रत भी नहीं,
नहीं चाहिये जिन्दगी से कुछ और मुझे,
जी लेता हूं मै अपनी जिन्दगी,
बस तेरी यादों के सहारे,
कभी मिलने की खुशी में,
तो कभी न मिलने के गम के सहारे.
पर ऐसा नहीं है,
कि मैनें अपना मकसद खो दिया है,
और ना ही अपने आने वाले,
हर कल को धो दिया है.
मेरी जिन्दगी का मक्सद,
तो आज भी वही है,
किसी के लिये तुम या मैं नहीं,
बस मोहब्बत ही सही है.
.

Friday, March 19, 2010

मुझे पसंद नहीं,


मुझे पसंद नहीं.
कोई मेरे प्यार को तोले ,
मुझे पसंद नहीं,
कोई मुझे झुठा बोले,
मुझे पसंद नहीं.
मैं अकेला ही जी लुंगा ,
तेरी यादों के  सहारे,
सपने की दुनिया में ही सही,
तेरे झुठे वायदों के सहारे.
पर युं ना मुझे सताया करो
हर वक्त रुलाया ना करो.
मैनें क्या खता कर दी,
तुमसे प्यार करके,
अपने दिल की बातों का,
तुमसे इज़हार करके.
मैनें तो नहीं कहा कि ,
तुम भी मुझसे प्यार करो.
जागती आँखों से कभी,
मेरा इन्तेजार करो.
पर मुझे मत रोकना,
मैं बहुत आगे जा चुका हूँ,
तेरे यादों को दिल के में बसा चुका हूँ,
कोशिश भी मत करना
इन यादों को छिनने की,
वरना डर जाओगी ,
जब बात होगी,
मेरे आँसुओं को गिनने की.

जे एन यु की बात निराली है.

जे एन यु की बात निराली है.
चारों तरफ हरियाली है.
रात में सङक खाली है.
जहाँ मन हो, अपना भोकाली है.
पढाई की बात मत करो, बदहाली है,
बुद्दीजिवी वाली बात बस जाली है.
हर तरफ वामपन्थीयों की नाली है ,
जहाँ देखो बस लाल की ताली है.
पर उन देश्भक्तों की कमी है,
जिनकी आँखों में मातॄभुमि के प्रेम की नमी है.

Friday, March 12, 2010

मैं उनके बिना रह नहीं सकता

बङा कठीन है,
खुद को जिन्दगी का अर्थ बताना,
तुझसे मिले बिना तुझे हँसाना,
रास्ते में दूर अकेला जाना,
बङा कठीन  है.

पर क्या किसी के साथ होने से, हम कुछ खोते हैं?
शायद नहीं , पर साथ नहीं होने से रोते हैं.
उनके बारे ...में पता नहीं,
पर वो भी किसी के सपने में सोते होंगे,
मैं हूँ या नहीं शायद कह नहीं सकता ,
पर इतना पता है कि मैं उनके बिना रह नहीं सकता.

आप सबको आजमा लेना, तब मुझे बता देना,
मैं वहाँ भी तुम्हारा इन्तेजार करुंगा ,
तब भी तुमसे इतना ही प्यार करुगा.



Thursday, March 11, 2010

कलम और किताबे,क्या है इनका अर्थ?

कलम और किताबे, क्या है इनका अर्थ?
कविता में तो होते है बस दिल का दर्द,
पर यदि समझ न पाओ तो सब है व्यर्थ,
कलम और किताबे,क्या है इनका अर्थ?

सच्चाई जब सह नहीं पाते,
अपनी बात कह नहीं पाते,
चुप भी हम रह नहीं पाते.

तब कलम हमारे साथ होता,
कविता में ही बात होता,
और सच्चाई का हाथ होता.

Monday, March 8, 2010

मैं कहाँ फिर तुम  कहाँ

हर किसी से मुलाकात करना
एक कहानी नहीं होती ,
किसी के लिये बस कविता लिखना ,
उसकी दिवानी नहीं होती.

हम तो बस देखते है,
तेरी इन आँखॊं में जन्न्त,
तेरी बस एक मुलाकात के लिये,
हम माँगते है खुदा मन्नत.

कोई चाहता हो तुझे....मुझसे ज्यादा, 
हो नहीं सकता,
तेरे हर एक आँसु के लिये रो दे.…मुझसे ज्यादा, 
हो नहीं सकता.

कुछ और पल की बातें हैं,
जरुरी बस कुछ मुलाकतें हैं,
फिर मैं कहाँ फिर तुम  कहाँ,
फिर हम जहाँ, फिर तुम वहाँ.

Saturday, March 6, 2010

हर प्यार करनेवाले की एक कहानी होती हैं.

हर प्यार करनेवाले की एक कहानी होती हैं,
जो दुनियावालो के नज़रों में “नादानी’होती हैं
य़ुवाओ के लिये “जावानी” होती है,
दोस्तों के लिये  “परेशानी” होती है.
रिस्तेदारो के लिये “बदनामी”होती है,

पर,कहानी तो कभी खत्म नहीं होती है,
सच्चे प्यार करनेवालो की,
दिल की जुवां से बात करनेवालो की,
बस किसी की झलक से मुस्कुराने वालो की,
पर,कहानी तो कभी खत्म नहीं होती है,

हम वो हैं जो  आज की बातों को,
कल पे नहीं छोङते,
मंजील सामने हो तो मुँह नहीं मोङते.
किसी के विश्वाश को तो कभी नहीं तोङते.

पर दुख की बात ये है कि,
हम भी उनसे जुवां नहीं खॊलते.






Friday, March 5, 2010

मेरी भी आदत नहीं है बोलना,

मेरी भी आदत नहीं है बोलना,
दिल में बसे अरमानो खोलना,
मैं प्यार से जुङे हर शब्द को जनता हूं
तेरी मोहब्बत करने बाली इन आँखों
को अच्छी तरह पहचानता हूं.

दिल तक ठीक है प्यार निभाना,
बहुत मुश्किल है इसे जुवां पे लाना,
इससे भी मुश्किल है,
एक -दुसरे को कितना जानते है ये बाताना.

Thursday, March 4, 2010

मुश्किल है जिन्दगी का अर्थ बताना

मुश्किल है जिन्दगी का अर्थ बताना
एक भाई,एक बेटॆ ,एक बाप का फ़र्ज निभाना.
मुश्किल है,इस मदमस्त जवानी में,
अपनी प्रेमीका के लिये गीत गाना,
मुश्किल है ,अपनी प्रतीभा को दबाना,
पर उससे भी मुश्किल है,आज एक नौकरी पाना.

भाई ने कहा..जबानी तो अभी आना है,
जरुरी है अभी पैसे कमाना है,
पिता ने कहा..जरुरी नहीं है पैसे कमाना,
जरुरी है अपनी जिन्द्गगी को औरों के लिये मिसाल बनाना,
बहन ने कहा...पैसे भी कमाना है, कुछ सोहरत भी पाना है.
मां ने कहा.. बस बेटा तु मुस्कुराना,
अगर कोई गम हो तो मुझे बताना.

मैनें कहा ...मां मैं क्या करुं?
भाई के लिये जिऊ, या बहन के लिये मरु,
या पिता  के लिये कुछ करुं,
या मैं जिऊं उस प्रेमिका के लिये,
जिसके बिना मै अधुरा हूं.

मां ने कहा ..जी ले बेटा, जैसा तु चाहाता है,
क्युंकि जिन्दगी नहीं चलती है बस कुछ पाने से,
जिन्दगी चलती है हर वक्त मुस्कुराने से.
हर वक्त हँस्ते हो यदि उसके पास होने से,
कोई फ़र्क नही पङता तेरे भाई , बहन, पिता के रोने से,
वो फिर कल मुस्कुराने लगेंगे तुझे हँस्ता देखकर.
पर यदि तु न खुश रहा, तो हमारा हँसना बेकार,
क्योंकि हमें भी तुमसे से उतना ही प्यार है ,
जितना तु करता है अपने प्यार से.

मैनें कहा ..माँ ...पर डर लगता है ये रिस्ते तो खून के हैं,
वो तो बस इस साल के पहले वाले जुन के हैं.
माँ ने कहा..रिस्ते नहीं बनते खून से ,
ये बनते है बस जज्बात और जुनुन से.
यदि रिस्ते बनते... खून से तो,
रक्तदान करके भी क्यों नहीं जीते ,
ये हिन्दु- मुस्लिम सकुन से.
क्योंकि खून में तो नहीं लिखा होता है,
किसी की जाति और धर्म.
और ना ही कोई पूछ्ता कि क्या है ...
इस चढाये जाने वाले खून का जाति और धर्म.
पर बाहर आते ही क्यों फ़ैल जाता है ये भ्रम.

Wednesday, March 3, 2010

hi....एक परी हो तुम,

हां,मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम,
जिसे मै जब चाहूं, जहां चाहूं,
बुला लुं,जब चाहूं हंसा लूं ,
जब चाहूं रुला दूं,
हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम,
जिसके हाथ में एक जादू की छरी है,
जो बस तुम मुझे दिखाती हो,
जब तुम चाहती हो मुझे रुला देती हो,
जब चाहती हो, हंसा के मुझे,
अपने सपनो में सुला देती हो,

हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम,
और मेरे लिये... इस दुनिया में,
सबसे खुबसुरत हो तुम,
मेरे जीने की जरुरत हो तुम,
मेरे प्यार कि मुरत हो तुम,
मेरे लिये मेरी सबसे बडी सोहरत हो तुम.
हां मानता हूं, कि कोई खिलॊना नहीं हो तुम
अपनी नज़रों एक परी हो तुम.

Monday, March 1, 2010

tum jo chaho ban sakti ho.

Ye jindgi tumhari hai,
Tum jo chaho wo ban sakti ho.
Kitabe, ped, adirish,kya hai...
Tum kisi ki hakikat bhi ban sakti ho.

Jindgi nahi chalti hai ,
dairy kuch ke panno se.
jindgi to jeete hai woe log,
jo sikhlate hai doosro ko jeena ,
kebal sarab hi nahi,
auro ke gum ko bhi peena.
Dairy likhna , kabitaen likhna, Sahi hai,
Par jindgi ka maksad ,
Sayad ye to nahi hai.

Dairy kya hai?
Kal kisi ki mohabbat me,
itan kho jaogi ,
dairy me likhe har sabd ko do jaogi.
Lekin tum Kal milna,
aur phir mushkurana,
Par ye na batana,
Ki, kya chahati ho tum?
Mujhe , ya dairy ke kuch panne ko.

Jhoot me hi sahi,
par Kabhi – kabhi ,
mere liye to ro liya bhi karo.
Sach me na sahi,
par sapno me to mujhe,
apni bahoon me le liya karo.

from my heart

Tum kya chahati ho?
nahi samjh pata hoon mai,
kyonkiki itna aasan nahi hai
tumhe samjhna.
tum bas bolti ho , likthi ho,
par sunti nahi ho,
mere dil ke tootne ke awwjo ko.

jab bhi mai jagta hoon
to rota hoon,
kyonki ;lagta hai mujhe ,
ki aaj bhi tum mere sapne me,
kyon nahi aayi ,
yadi aayi bhi to,
kyon nahi mujhe gale lagaai .
kaha na mai kuch bhi kar sakta hoon ,
tumhe pane ke liye,
tere in hoton ke muskurane ke liye.
tum kya chahati ho?
Nahi samjh pata hoon mai.

Mai janta hoon ,
Aur mujhe yakin bhi hai mera,
tum ek din ,
jaroor karne lagogi mujhe pyar.
Par Mai nahi chata ise bana teri majboori
Ki tu logo se kahe ki ,
nibhana tha mohabbat jaroori ,
maine bhi majboori me haan kar diya ,
uski sacchi mohabbat me ,
haan me haan bhar diya.
Nahi chahie aisi teri dariyadili,
Kuda na kare ki tu mujhe na mile,
Par ji lunga mai teri yadoon ke sahare.
Keh denge log ki ,
mohabbat ne ek aur aasiq mare.
logo ka kaam hai kahna
par us se bhi jyada jarrori
mohabbat ko jinda rahna.