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Monday, March 8, 2010

मैं कहाँ फिर तुम  कहाँ

हर किसी से मुलाकात करना
एक कहानी नहीं होती ,
किसी के लिये बस कविता लिखना ,
उसकी दिवानी नहीं होती.

हम तो बस देखते है,
तेरी इन आँखॊं में जन्न्त,
तेरी बस एक मुलाकात के लिये,
हम माँगते है खुदा मन्नत.

कोई चाहता हो तुझे....मुझसे ज्यादा, 
हो नहीं सकता,
तेरे हर एक आँसु के लिये रो दे.…मुझसे ज्यादा, 
हो नहीं सकता.

कुछ और पल की बातें हैं,
जरुरी बस कुछ मुलाकतें हैं,
फिर मैं कहाँ फिर तुम  कहाँ,
फिर हम जहाँ, फिर तुम वहाँ.

1 comment:

  1. you r tring well......hav given sweet poems to us.

    but if it come direct from your heart it will be more heart touching..........

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