सोचता हूँ जिन्दगी जी लूँ कुछ इस तरह,
कि हर एक दिन लगे कि जी रहा हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह,
कि कोइ मिल जाये कुछ इस तरह,
जिसे अपना बना लूँ कुछ इस तरह,
सपनें सजा लूँ कुछ इस तरह,
जिसके लिये खो दूँ मैं सबकुछ कुछ इस तरह,
रो दूँ हर एक आँसू कुछ इस तरह,
पर कोई मिलती नहीं है कुछ इस तरह,
जो मुस्कुराये बस मेरे पास होने से कुछ इस तरह,
कि सारी दुनिया हूँ मैं उसके लिये कुछ इस तरह.