मैंने कभी नही चाहा था,
प्यार को ऐसे निभाना.
मैंने कभी नही चाहा था,
तुम पे हक जमाना.
पर क्या हुआ था मुझे,
तुम्हारा प्यार था जो मुझसे
ऐसा करवाया,
या मेरी वासना थी ,
जो बाहर निकलके आया.
हाँ तुम भी तो मौजूद थी,
फिर क्यों इतने करीब थी.
मैं बस तुम्हे मुस्कुराता,
देखना चहाता था.
पर क्या हो गया था मुझे,
इसका गम नहीं,
तुमने भी तो साथ दिया था ,
क्या ये कम नहीं.
दुख इस बात का नहीं ,
कि मैंने तुमसे प्यार किया.
दुख इस बात का है तुमने,
तुमने प्यार को क्या कह दिया.
अपनी जरुरत, मेरी भूख.
काश तुम मेरे प्यार को,
कभी समझ पाओ.
main samajh samajh kar na samajh hoon ...........
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